Thursday 19 April 2018

2 Line Shayari #192, Ajib Tamasha Hai

अजीब तमाशा है मिट्टी से बने लोगो का,
बेवफाई करो तो रोते है और वफा करो तो रुलाते है।

अकेला वारिस हूँ उसकी तमाम नफरतों का,
जिसके सारे शहर में आशिक हजार है। ✍

मोहब्बत तेरी सूरत से नही तेरे किरदार से है,
शौक-ऐ-हूस्न होता तो बाजार चले जाते।

तेरी आंखों से एक चीज़ लाजवाब पीता हूँ,
मैं हूँ तो बहोत गरीब पर सबसे महँगी शराब पीता हूँ।

मुश्किल होता है जवाब देना.. जब कोई
खामोश रह कर भी.. सवाल कर लेता है।

बेचैनियाँ बाजारों में नहीं मिला करती.. मेरे दोस्त
इन्हें बाँटने वाला, कोई बहुत नजदीक का होता हैं।

मुझे आजमाने वाले शख्स तेरा शुक्रिया,
मेरी काबिलियत निखरी है तेरी हर आजमाइश के बाद।

गुलाबों ने ख्वाबों की हक़ीक़त सिखाई है मोहब्बत
भले ही न मिली हो मगर प्रीत हमने दिल से निभाई है। 💕

प्यार हमेशा उससे करना जो आँखो के..
साथ साथ दिल की धड़कनो को भी पढ़ सखे। 💕

इतनी हिम्मत तो नहीं किसी को हाल-ये-दिल सुना सके,
बस जिसके लिये उदास है बो महसूस करे तो काफी है।🌹

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