Tuesday 24 October 2017

2 Line Shayari, Na jane kaisa rishta hai

ना जाने कैसा रिश्ता है इस दिल का तुझसे..
धड़कना भूल सकता है पर तेरा नाम नही​।


​​हमारी आरजूओं ने हमें इंसान बना डाला​,
​वरना जब जहां में आये थे बन्दे ​​​थे खुदा के​।
रूठा हुआ है हमसे इस बात पर जमाना ,
की शामिल नहीं है फितरत में हमारी सर झुकाना​।
जिन्हें देखने को तरस गयी थी निगाहे,
उन्हें देखकर बरस पड़ी आज मेरी निगाहें​।
मैं याद तो हूँ उसे, पर ज़रूरत के हिसाब से,
लगता है मेरी हैसियत, कुछ नमक जैसी है​।
प्यार आज भी तुझसे उतना ही हैं,
तुझे अहसास भी नही, और हमने जताना भी छोड़ दिया​।
उन्हें शोक था अखबारों के पन्नो पर बने रहने का,
वक़्त ऐसा गुज़रा की वह रद्दी के भाव बिक गये​।
सफ़र तुम्हारे साथ बहुत छोटा है मगर,
यादगार हो गये तुम अब ज़िंदगी भर के लिए​।
बारिश में रख दूँ जिंदगी को ताकि धुल जाए पन्नो की स्याही, 
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी-कभी​।
जख्म तो आज भी ताजा है बस वो निशान चला गया,
मोहब्बत तो आज भी बेपनाह है बस वो इंसान चला गया​।

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