Tuesday 24 October 2017

Hindi Poetry, Mujhe nisbat hai

मुझे निस्बत हैं तुमसे या शायद मुहब्बत है,
मगर तुम मेरी जरूरत हो ये जरूरी तो नहीं..

चाहता हूं मैं तुम्हें शायद हर शय से ज्यादा,
मगर एक तुम ही चाहत हो ये जरूरी तो नहीं..

जो हैं हमारे दरमियां हां! वो हम दोनों का हैं,
ये सिर्फ मेरी ही अमानत हो ये जरूरी तो नहीं..

कुछ पहलु अनजान रहें कुछ जानने का अरमान रहें,
सब राज़ खोलु ये कुर्बत हो ये जरूरी तो नहीं..

जब चल पड़ें हो साथ तो कुछ दूरियां तय करें,
मुकाम मिले ये किस्मत हो ये जरूरी तो नहीं।।

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