कहीं हर ज़िद पूरी, कहीं ज़रूरत भी अधूरी,
कहीं सुगंध भी नही, कहीं पूरा जीवन कस्तुरी।
गली दबा के दाँतो में वो मुस्कुरा दिए,
इतनी सी बात ने कई तूफां उठा दिए!
मेरी मासूम सी मुहब्बत को ये हसीं तोहफे दे गए हैं,
जिंदगी बन कर आए थे.. और जिंदगी ले गए हैं!
इक मन था मेरे पास वो अब खोने लगा है,
पाकर तुझे, हाय मुझे कुछ होने लगा है!
सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का,
एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं!
वो लोग जो तुम्हें कभी-कभी याद आते है,
दोस्तों हो सके तो मुझे उनमें शुमार कर लेना!
तुम्हारी आंखों का कोई कसूर नहीं,
इन्हें देखकर बहकना लाज़मी हैं!
तन्हाई मैं मुस्कुराना भी इश्क़ है,
इस बात को सब से छुपाना भी इश्क़ है
रूबरू मिलने का मौका मिलता नहीं है रोज,
इसलिए लफ्ज़ों से तुमको छू लिया मैंने!
बहुत “हिफाजत” कर ली अब हमने अपनी,
दिल चाहता है कि अब कोई चुरा ले हमे!
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