चलता जाता था मैं अपने ही ख़्याल में,
जाने कैसे फंसा तेरे नैनों के जाल में।
तुम वक़्त वक़्त पर प्यार की दवाइयां दिया करो,
हमे आदत है रोज तेरे प्यार में बीमार होने की।
बड़ा ही खामोश सा अंदाज है तुम्हारा,
समझ नहीं आती फ़िदा हो जाऊ या फना हो जाऊ।
मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना..
तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना।
दिल तुम्हारी तरफ कुछ यूं झुक सा जाता है,
किसी बेइमान बनिए का तराजू हो जैसे।
मुकम्मल इश्क़ तब होता है,
जब इश्क, इश्क़ के बाहों में होता है।
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