मोहब्बत की आज यूँ बेबसी देखी,
उसने तस्वीर तो जलाई मगर राख नहीं फेंकी।
हमारे लफ्जों को थोड़ा धयान से पढ़ा करो,
हम ने सच में अपनी ज़िन्दगी बरबाद की है।
वो साहिल से देखता रहा मेरे डूबने का मंजर,
हम भी डूब गए मगर पुकारा नहीं उसे।
एहसास तो मेरे सनम को भी बहुत है..मेरी मोहब्बत का
वो तड़पाता इसलिए है…कि मैं और टूट के चाहूं उसे।
जिसको मेरा हाथ पकड़ना चाहिए था,
वो मेरी एक गलती पकडे बैठी हे!
इश्क़, मोह्बत, प्यार,इबादत सब कहने की बाते है,
चाहिए अगर सुकून ज़िन्दगी में,तो इनसे दूरी रखिये।
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