मुझ पर अपनों का प्यार, बस यूँ उधार ही रहने दो,
बड़ा खुशनुमा है ये कर्ज़, मुझे कर्ज़दार ही रहने दो।
यूं तो अकसर कई मिलते हैं राह ए सफर में,
पर तुम मिले तो ऐसा लगा जैसे हमकदम मिल गया।
मोहब्बत वक़्त के बे रहम तूफानों से नहीं डरती,
उसे कहना बिछड़ने से मोहब्बत तो नहीं मरती।
गलियो में अब मेहबूबों की भीड़ रहती है,
यह नवंबर है साहब इसमे नए आशिको की ईद रहती है।
होठों पे वही ख़्वाहिशें, आँखों में हसीन अफ़साने हैं..
तू अब भी एक मदहोश गज़ल, हम अब भी तेरे दीवाने हैं।
मोहब्बत तो वोह है जिस में किसी के मिलने की,
उम्मीद भी न हो मगर फिर भी इन्तेजार हो।
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